The hero of the movie 'Buddha In A Traffic Jam' asks this question to the teacher (Anupam Kher) this question - Why should I be part of 'your' revolution?
StatCounter
Monday, May 30, 2022
Why should I be part of 'your' revolution?
Wednesday, December 8, 2021
Number of calories per 100 grams of different food items (cooked)
Dear All,
Greetings!
The information about number of calories in isolated food items is available easily on internet. So it is not duplication of that information. However, I did not find number of calories of cooked food items easily on internet. So below I am creating a list of number of calories per 100 grams of different food items when they are cooked. This helps in getting the information readily available and based on this one can decide if they should eat a particular item or not and if yes in what quantity so that the daily calorie limit will not exceed. This is just compilation of information from different sources on internet hence there is possibility of errors in it. If you find any major error in it, please let me know. Primarily, I have created this list for my own reference and not some research purpose hence there is possibility of some minimal error in this list but that is acceptable to me. Though the list if for my own personal purpose, others reading this blog can definitely use this list if they find it useful.
Thursday, December 2, 2021
Information about Anandwan - Hemalkasa - Somnath Tour by Anandwan Mitramandal, Chinchwad
Friday, March 5, 2021
Talk by Naidu sir on the topic of - Vivekanand's Thoughts For Youth
Sunday, December 13, 2020
जब मासूम आंखों में ख़ौफ़ नज़र आने लगे....
जब बचपन तुम्हारी गोद में आने से कतराने लगे,
जब माँ की कोख से झाँकती ज़िन्दगी,
बाहर आने से घबराने लगे,
समझो कुछ ग़लत है ।
जब तलवारें फूलों पर ज़ोर आज़माने लगें,
जब मासूम आँखों में ख़ौफ़ नज़र आने लगे,
समझो कुछ ग़लत है
जब ओस की बूँदों को हथेलियों पे नहीं,
हथियारों की नोंक पर थमना हो,
जब नन्हें-नन्हें तलुवों को आग से गुज़रना हो,
समझो कुछ ग़लत है
जब किलकारियाँ सहम जायें
जब तोतली बोलियाँ ख़ामोश हो जाएँ
समझो कुछ ग़लत है
कुछ नहीं बहुत कुछ ग़लत है
क्योंकि ज़ोर से बारिश होनी चाहिये थी
पूरी दुनिया में
हर जगह टपकने चाहिये थे आँसू
रोना चाहिये था ऊपरवाले को
आसमान से
फूट-फूट कर
शर्म से झुकनी चाहिये थीं इंसानी सभ्यता की गर्दनें
शोक नहीं सोच का वक़्त है
मातम नहीं सवालों का वक़्त है ।
अगर इसके बाद भी सर उठा कर खड़ा हो सकता है इंसान
तो समझो कुछ ग़लत है l
- Prasoon Joshi
Saturday, December 12, 2020
कड़वा सच भी पीना होगा - प्रसून जोशी
ज़ाहिर होकर जीना होगा कड़वा सच भी पीना होगा
यह युग है सबकुछ कहने का प्रत्यक्ष सामने रहने का
पूरा पूरा साबुत सच्चा नहीं सत्य अधूरा सहने का
चलो उस कमरे में चलते है जंहा सुलग रहे है अंगारे
चलो धुल हटाने चलते है पूरे मनसे मिलकर सारे
मंशा लेकर बाहर आओ बारिश है सब धूल जाएगा
हम चाहेंगे तो एक रास्ता इन रास्तों से खुल जाएगा
लेकिन पूरा बहना होगा
ज़ाहिर होकर जीना होगा कड़वा सच भी पीना होगा
जो घाव छुपाए जाते है वो और गहरे हो जाते है
तुम बार बार पट्टी बांधो पर दर्द छलक ही आते है
बस अपनी शर्तो पर रिश्ते यूँ कबतक ये चल पाएगा
बस अपना दर्द ही दर्द लगे तो पीड़ा कौन सुनाएगा
जिद छोड़के सामने आओगे तो उसे सामने पाओगे
जाहिर होकर जीना होगा कड़वा सच भी पीना होगा
तुम्हे हैरत है वो बदल गया जिससे पहचान पुरानी थी
उसकी तो हर एक धुन तुमको बरसों से याद जुबानी थी
ईमानदार होकर सोचो, क्या उसका सच जाना तुमने?
क्या पूरी पूरी कोशिश की, क्या उसको पहचाना तुमने?
शायद आधी पहचान थे तुम उससे बिलकुल अनजान थे तुम
ये रातोंरात नहीं होता पैदा जज्बात नहीं होता
चलो खुद से नजर मिलाते है हर पक्ष सामने लाते है
जो उधड़ा है सीना होगा
जाहिर होकर जीना होगा कड़वा सच भी पीना होगा
- प्रसून जोशी