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Sunday, May 6, 2018

मुझे खुद को भी है टटोलना

तेरा रंग ऐसा चढ़ गया
कोई और रंग ना चढ़ सके
तेरा नाम सीने पे लिखा
हर कोई आके पढ़ सके
है जूनून है जूनून है
तेरे इश्क का ये जूनून है
रग रग में इश्क तेरा दौड़ता
यह बावरा सा खून है
तूने ही सिखाया सच्चाइयों का मतलब
तेरे पास आके जाना मैंने ज़िन्दगी का मकसद
सत्यमेव, सत्यमेव, सत्यमेव जयते
सच्चा है प्यार तेरा, सत्यमेव जयते
सत्यमेव, सत्यमेव, सत्यमेव जयते
तेरे नूर के दस्तूर में
ना हों सलवटें ना शिकन रहे
मेरी कोशिशें तो हैं बस यही
रहें खुशबुएँ गुलशन रहे
तेरी ज़ुल्फ़ सुलझाने चला
तेरे और पास आने लगा
जहाँ कोई सुर ना हो बेसुरा
वो गीत मै गाने चला
है जूनून है,जूनून है
तेरे इश्क का ये जूनून है
रग रग में इश्क तेरा दौड़ता
यह बावरा सा खून है
तूने ही सिखाया सच्चाइयों का मतलब
तेरे पास आके जाना मैंने ज़िन्दगी का मकसद
सत्यमेव, सत्यमेव, सत्यमेव जयते
सच्चा है प्यार तेरा, सत्यमेव जयते
सत्यमेव, सत्यमेव,सत्यमेव जयते
तेरा रंग ऐसा चढ़ गया
था नशा जो और भी बढ़ गया
तेरी बारिशों का करम है ये
मै निखर गया, मै संवर गया
जैसा भी हूँ, अपना मुझे
मुझे ये नहीं है बोलना
काबिल तेरे मै  बन सकूं
मुझे द्वार ऐसा खोलना
सांसों कि इस रफ़्तार को
धड़कन के इस त्यौहार को
हर जीत को, हर हार को
खुद अपने इस संसार को
बदलूँगा मै तेरे लिये
है जूनून है, जूनून है
तेरे इश्क का ये जूनून है
रग रग में इश्क तेरा दौड़ता
ये बावरा सा खून है
सत्यमेव, सत्यमेव, सत्यमेव जयते
सच्चा है प्यार तेरा सत्यमेव जयते
सत्यमेव, सत्यमेव, सत्यमेव जयते
मुझे खुद को भी है टटोलना
कहीं है कमी तो बोलना
कहीं दाग है तो छुपायें क्यूँ
हम सच से नज़रें हटायें क्यूँ
खुद को बदलना है अगर
बदलूँगा मै तेरे लिये
शोलों पे चलना है अगर
चल दूंगा मै तेरे लिये
मेरे खून कि हर बूँद में
संकल्प हो तेरे प्यार का
काटो मुझे तो तू बहे
हो सुर्ख रंग हर धार का
है जूनून है, जूनून है
तेरे इश्क का ये जूनून है
रग रग में इश्क तेरा दौड़ता
ये बावरा सा खून है
सत्यमेव, सत्यमेव, सत्यमेव जयते
सच्चा है प्यार तेरा, सत्यमेव जयते
सत्यमेव, सत्यमेव, सत्यमेव जयते
सच्चा है प्यार तेरा सत्यमेव जयते
सत्यमेव, सत्यमेव, सत्यमेव जयते

- Prasoon Joshi

Saturday, May 5, 2018

How to convert anger in something productive

A beautiful talk by our Nobel Prize winner, Kailash Satyarti on how to convert anger in something productive - https://youtu.be/HI7zfpitZpo

जंग टलती रहे तो बेहतर है 

खून अपना हो या पराया हो
नस्ल ए आदम का खून है आखिर
जंग मशरिक में हो या मगरिब में
अम्न ए आलम का खून है आख़िर

बम घरों पर गिरें कि सरहद पर
रूहे-तामीर जख्म खाती है
खेत अपने जलें या औरों के
जीस्त फाकों से तिलमिलाती है

टैंक आगे बढ़ें या पीछे हटें
कोख धरती की बांझ होती है
फतेह का जश्न हो या हार का सोग
जिंदगी मय्यतों पे रोती है

जंग तो खुद ही एक मसला है
जंग क्या मसअलों का हल देगी
खून ओर आग आज बरसेगी
भूख ओर एहतियाज कल देगी
इसलिए ए शरीफ इंसानों
जंग टलती रहे तो बेहतर है
आप ओर हम सभी के आंगन में
शम्मा जलती रहे तो बेहतर है

- साहिर लुधियानवी

Friday, May 4, 2018

Dr. Ashok D. B. Vaidya

Dr. Ashok D B Vaidya is a great person I was able to meet 2 times in my life.

He is a great researcher and father of Dr. Vidita Vaidya.

It might take time for me to understand and write about him, hence I will keep updating this post as I will get more information and time.

I liked his interview in which he says that - "Science is learning to say - I don't know"

Dr. Abhay Bang had suggested me his name to meet him and I was able to find him out only based on his name and was able to meet him at his home at Parel, Mumbai.

Will share more about him as time permits and as I understand more.