चलो पहाड़ी की चोटी पर
चट्टानों से बात करे।
उस पत्थर से निकले पानी
कुछ ऐसा आघात करे।धृ।
उस पत्थर से निकले पानी
कुछ ऐसा आघात करे।धृ।
उंचाई से डर काहे का
हमसे उंचा कौन यहाँ।
खाई का भय हमे नहीं है
हमसे गहरा कौन यहाँ।
भिडजाए कठिनाई से
अवरोधों से दो हाथ करे।1।
हमसे उंचा कौन यहाँ।
खाई का भय हमे नहीं है
हमसे गहरा कौन यहाँ।
भिडजाए कठिनाई से
अवरोधों से दो हाथ करे।1।
जल प्रताप हम पर्वत छेदे
इतना पानी मारा है।
महावृक्ष है हमने पर्वत
जटिल जड़ों से चीरा है।
पर्वत इतना बड़ा नहीं
हम क्षमताओं पे मात करे।2।
इतना पानी मारा है।
महावृक्ष है हमने पर्वत
जटिल जड़ों से चीरा है।
पर्वत इतना बड़ा नहीं
हम क्षमताओं पे मात करे।2।
समर्थ होना हमने तो
इन चट्टानों से सीखा है।
अब तक उंचे आसमान को
नजर उठाए देखा है।
चलो पहाड़ी की चोटी पर
बराबरी से बात करें।3।
इन चट्टानों से सीखा है।
अब तक उंचे आसमान को
नजर उठाए देखा है।
चलो पहाड़ी की चोटी पर
बराबरी से बात करें।3।
- Nikhilesh Bagade, Nirman
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